Saturday, April 25, 2020

रामायण के बाद हनुमानजी यहां चले गए थे और अब वे इन जगहों पर मिलते हैं...

रामायण के बाद हनुमानजी यहां चले गए थे और अब वे इन जगहों पर मिलते हैं...


चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥
चारों युग में हनुमानजी के ही परताप से जगत में उजियारा है। को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आज भी हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं।

हनुमान इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात हैं। कलियुग में हनुमान की भक्ति ही लोगों को दुख और संकट से बचाने में सक्षम हैं। बहुत से लोग किसी बाबा, देवी-देवता, ज्योतिष और तांत्रिकों के चक्कर में भटकते रहते हैं, क्योंकि वे हनुमान की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते। ऐसे भटके हुए लोगों का राम ही भला करे। आजो जानते हैं कि हनुमानजी कहां कहां उपस्थित है।

1. जहां रामकथा वहां हनुमानजी
''यत्र-यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि। वाष्प वारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तक॥''
अर्थात : कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं।

सीताजी के वचनों के अनुसार- अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ॥
यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्घा और विश्वास से इनका आश्रय ग्रहण कर लें तो फिर तुलसीदासजी की भांति उसे भी हनुमान और राम-दर्शन होने में देर नहीं लगती।

2.चित्रकुट के घाट पर हनुमानजी

6वीं सदी के महान संत कवि तुलसीदासजी को हनुमानजी की कृपा से ही रामजी के दर्शन प्राप्त हुए। कथा है कि हनुमानजी ने तुलसीदासजी से कहा था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट नियमित आते रहते हैं। मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा, जब राम और लक्ष्मण आएंगे मैं आपको संकेत दे दूंगा।

हनुमानजी की आज्ञा के अनुसार तुलसीदासजी चित्रकूट घाट पर बैठ गए और सभी आने- जाने वालों को चंदन लगाने लगे। राम और लक्ष्मण जब आए तो हनुमानजी गाने लगे 'चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।' हनुमान के यह वचन सुनते ही तुलसीदास प्रभु राम और लक्ष्मण को निहारने लगे।' इस प्रकार तुलसीदासजी को रामजी के दर्शन हुए।
3.पर हनुमानजी
हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद भागवत में वर्णन आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमान को लेटे देखा और फिर हनुमान ने भीम का घमंड चूर कर दिया था।
गंधमादन में ऋषि, सिद्ध, चारण, विद्याधर, देवता, गंधर्व, अप्सराएं और किन्नर निवास करते हैं। वे सब यहां निर्भीक विचरण करते हैं। हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में (दक्षिण में केदार पर्वत है) स्थित गंधमादन पर्वत की। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध था।


4.श्रीलंका में हनुमान
सेतु एशिया नामक एक वेबसाइट ने दावा किया है कि श्रीलंका के जंगलों में एक आदिवासी समूह से हनुमानजी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते हैं। सेतु के शोधानुसार श्रीलंका के जंगलों में एक ऐसा कबीलाई समूह रहता है जोकि पूर्णत: बाहरी समाज से कटा हुआ है। इसका संबंध मातंग समाज से है जो आज भी अपने मूल रूप में है। उनका रहन-सहन और पहनावा भी अलग है। उनकी भाषा भी प्रचलित भाषा से अलग है। यह समूह पिदुरुथालागाला पर्वत की तलहटी में स्थित एक छोटे से गांव नुवारा में है। हालांकि इस वेबसाइट के दावे में सचाई नजर नहीं आती।


पोलीस विभागातील हवालदारापासून ते सर्वोच्च पदापर्यंत क्रमाने कोणकोणती पदे असतात?


  1. पोलीस कॉन्स्टेबल
  2. सिनियर पोलीस कॉन्स्टेबल
  3. पोलीस हेड कॉन्स्टेबल
  4. असिस्टंट सब- इन्स्पेक्टर ऑफ पोलीस (ASI)
  5. सब इ्स्पेक्टर ऑफ पोलीस (SI)
  6. असिस्टंट इन्स्पेक्टर ऑफ पोलीस (API)
  7. इन्स्पेक्टर ऑफ पोलीस (INS)
  8. असिस्टंट कमिशनर ऑफ पोलीस किंवा डेप्युटी सुप्रीटेंडन्ट ऑफ पोलीस (ACP or DSP)
  9. डेप्युटी कमिशनर ऑफ पोलीस किंवा अॅडीशनल सुप्रीटेंडन्ट ऑफ पोलीस (ADL.DCP किंवा ASP)
  10. डेप्युटी कमिशनर ऑफ पोलीस किंवा सुप्रीटेंडन्ट ऑफ पोलीस ( DCP किंवा SP)
  11. डेप्युटी कमिशनर ऑफ पोलीस (सिलेक्शन ग्रेड) किंवा सिनियर सुप्रीटेंडन्ट ऑफ पोलीस (DCP किंवा SSP)
  12. अॅडीशनल कमिशनर ऑफ पोलीस किंवा डेप्युटी इन्स्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (ADL.CP किंवा DIG)
  13. जॉइंट कमिशनर ऑफ पोलीस किंवा इन्स्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (JCP किंवा IGP)
  14. कमिशनर ऑफ पोलीस किंवा डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (CP किंवा DGP, राज्य)
  15. डायरेक्टर ऑफ इंटेलीजन्स ब्युरो (DBI, भारत सरकार)
धन्यवाद.

मोहम्मद अली जिना बद्दल अधिक माहिती




Friday, April 24, 2020

1995 के पहले के बच्चे

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी , 

पहला चरण   -   कैंची 

दूसरा चरण    -   डंडा 

तीसरा चरण   -   गद्दी ...

तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं था क्योंकि तब घर में साइकिल बस पापा या चाचा चलाया करते थे. 
*तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।*

*"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे*।

और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और *"क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है* ।

*आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था*।

हमने ना जाने कितने दफे अपने *घुटने और मुंह तोड़वाए है* और गज़ब की बात ये है कि *तब दर्द भी नही होता था,* गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।

अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और *अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में* ।

मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी!  *"जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं* ।

*इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए* !

और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।

और ये भी सच है की *हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी* ।

हम लोग  की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !

*पहला चरण कैंची*

*दूसरा चरण डंडा*

*तीसरा चरण गद्दी।*

● *हम वो आखरी पीढ़ी  हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और नावेल पढ़े हैं।

● *हम वही पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी,  किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर, नुक्कड़ से भाग कर, घर आ जाया करते थे।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़  की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है। 

● *हम निश्चित ही वो आखिर लोग हैं*, जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो और बिनाका जैसे  प्रोग्राम सुने हैं।

● *हम ही वो आखिर लोग हैं*, जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे। उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे। एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था। सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे। वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं। डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए। अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं। *हम ही वो खुशनसीब लोग हैं, जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!*

*हम एक मात्र वह पीढी है*  जिसने अपने माँ-बाप की बात भी मानी और बच्चों की भी मान रहे है. 
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ये पोस्ट जिंदगी का एक आदर्श स्मरणीय पलों को दर्शाती है l

Wednesday, April 22, 2020

*उत्तम असामान्य ज्ञान*

*उत्तम असामान्य ज्ञान*
 
हे आपणास माहित आहे का?

1. गरम पाणी गार पाण्यापेक्षा लवकर गोठते.
2. मोनालिसाच्या चित्राला *भुवया* नाहीत.
3. "The quick brown fox jumps over the lazy dog" हया इंग्रजी वाक्यात *इंग्रजीचे सर्व अक्षर* आलेले आहेत.
4. *जीभ* हे आपल्या शरीरातील सर्वात जास्त मजबूत स्नायू आहे.
5. मुंग्या अजिबात झोपत नाहीत.
6. "I am." हे इंग्रजीतील *सर्वात संक्षिप्त पूर्ण वाक्य* आहे.
7. कोका कोला हे शीत पेय मूलतः हिरव्या रंगाचे होते.
8. जगात सर्वात जास्त ठेवले जाणारे नाव *मोहम्मद*
9. जेव्हा चन्द्र बरोबर आपल्या डोईवर येतो तेव्हा आपले वजन नेहमी पेक्षा जरासे कमी भरते.
10. वाळवंटातील उडणाऱ्या वालुकणापासून बचावासाठी *उंटाला तीन पापण्या* असतात.
11. "abstemious" आणि "facetious" हे फक्त दोनच शब्द आहेत ज्यात *इंग्रजीचे स्वर क्रमबध्द* आले आहेत.
12. सर्व खण्डांची इंग्रजीतील नावे ज्या अक्षराने सुरू होतात त्यात अक्षराने संपतात.
13. अमेरिकेत दरमाणसी दोन क्रेडिट कार्डस् आहेत.
14. TYPEWRITER हा इंग्रजी टंकलेखन यंत्रावरील एकाच ओळीतील कळदाबून टाईप होणारा सर्वात लांब शब्द आहे. 
15. उणे चाळीस डिग्रीला सेल्सीअस व फॅरेनहाईट दोन्ही उणे चाळीसच असतात.
16. चाॅकलेट खाल्याने कुत्र्याचा मृत्यू होवू शकतो. कारण चाॅकलेटमधील थिओब्रोमाईड या रसायनाचा कुत्र्याच्या हृदयावर व नर्व्हससिस्टिमवर विपरित परिणाम होतो.
17. स्त्रिया तेवढ्याच वेळात पुरुषां पेक्षा दुप्पटवेळा पापण्या ब्लिंक करतात.
18. आपलाच श्वास रोखून आपण आत्मघात करू शकत नाही.
19. ग्रंथालयातून सर्वात जास्त चोरले गेलेले पुस्तक "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकाॅर्ड" तशी नोंद गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकाॅर्ड मध्ये नमूद आहं.
20.  डुकराना आकाशाकडे पाहता येत नाही.
21. "sixth sick sheikh's sixth sheep is sick" हे इंग्रजीतील सर्वात उच्चारणास अवघड वाक्य मानले जाते. 
22. "Rhythm" हा इंग्रजीतील स्वर रहीत सर्वात लांब शब्द आहे.
23. आपण खूप जोरात शिंकलो तर बरगडी फ्रॅक्चर होवू शकते व जर शिंक दाबली तर डोक्यातील वा मानेतील रक्तवाहीनी फुटून मृत्यू ओढवू शकतो.
24. पत्त्यातील चारही राजे महान राज्यांचे चित्र आहेत. 
- इस्पिक - राजा डेव्हिड
- चिलावर - अलेक्झांडर
- बदाम - चार्लेमॅग्ने
- चौकट - जुलियस सिझर
25. आपल्या जिभेने आपल्याच भुवया चाटणे अशक्य आहे.
26. 11,11,11,111 × 11,11,11,111 = 12,34,56,78,98,76, 54, 321
27. ज्या पुतळ्यातील घोड्याचे दोनही पाय हवेत असतात त्याचा स्वार युध्दात मरण पावलेला असतो, तर एक पाय हवेत असेल तर स्वाराचा युध्द-जखमांमूळे मृत्यू झालेला असतो व जर घोड्याचे चारही पाय जमीनीवर असतील तर स्वाराचा नैसर्गिक मृत्यू झालेला असतो.
28. गोळीरोधक जाकेट, आगनिरोधक, कारचे वायपर व लेसर प्रिंटर्स हे सर्व स्त्रीयांनी शोधलेली साधने आहेत.
29. *मध* हे एकमेव खाद्यान्न चीरकाल टिकते.
30. मगरीला आपली जीभ बाहेर काढता येत नाही.
31. साप तीन वर्षांपर्यत झोपू शकतो.
32. सर्व विषुवृत्तिय अस्वल डावरे असतात.
33. विमानात द्यावयाच्या सॅलड मधून प्रत्येकी केवळ एक ओलिव्ह कमी करुन अमेरिकन विमान कंपनीने 1987 मध्ये 40,000 डाॅलर्स वाचवले होते.
34. फुलपांखरे पायांनी चव अनुभवतात. 
35. हत्ती हा एकमेव प्राणी आहे जो उडी मारु शकत नाही.
36. मागल्या 4000 वर्षांमध्ये एकही प्राणी मानसाळला गेलेला नाही. 
37. मृत्युपेक्षा कोळ्याला घाबरणाऱ्यांची संख्या मोठी आहे.
38. Stewardesses हा इंग्रजी टंकयंत्रावर डाव्याहाताने टाईप केलेला सर्वात लांब शब्द आहे.
39. मुंग्या विष प्राशना नंतर नेहमी आपल्या उजवीकडे कलतात व मरतात.
40. विज दाहिनीचा शोध एका दंतवैद्याने लावला आहे.
41 रक्ताचा तीस फुट फव्वारा मारु शकेल इतका फोर्स हृदय निर्माण करते. 
42. उंदिरांची संख्या अकल्पित प्रमाणात वाढते; अगदी दोन उंदीर अठरा महिन्यात दहालाख होवू शकतात. 
43. इअरफोन एकतास वापरल्यास कानात नेहमीपेक्षा 700पट विषाणू वाढतात.
44. सिगारेटलायटरचा शोध आगपेटीच्या आधी लागलेला होता.
45. बोट-ठशांप्रमाणेच प्रत्येकाचे जीभ-ठसेसुध्दा वेगवेगळे असतात.
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ही पोस्ट मला इंग्रजीतील मिळाली. ती वाचन सुविधेस्तव मराठीत केली आहे. यातील बऱ्याच गोष्टी मलाही माहित नव्हत्या. असो.                    ♨️♨️♨️♨️♨️♨️🖕🖕🖕🖕🖕🖕आपलाच

Monday, April 13, 2020

डॉ० बाबा साहेब अम्बेडकर और ब्राह्मण......

डॉ० बाबा साहेब अम्बेडकर और ब्राह्मण......

   
     बहुत समय से दलित समाज में क्रांतिकारी नेताओं के विषय में एक नवीन एवं महत्वपूर्ण मापदंड दिखाई दे रहा है। ऐसे वक्ता-नेता जो दलित समाज की सभाओं में ब्राह्मणों की जमकर बुराई करे, हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाये, साथ ही गांधी जी के विरुद्ध अपमानजनक भाषण करे, वे महान क्रांतिकारी एवं प्रगतिशील माने जाते है। उन्हें तालियों की गड़गड़ाहट से नवाजा जाता है। यह सब होता है - पूज्य बोधिसत्व डा० बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम पर। कितने ही लोगों ने बाबा साहेब जैसे देशभक्त की आड़ लेकर 'दलित स्तान' तक की घोषणा करने की धृष्टता की है। आइये, हम सब बाबा साहेब के जीवन की अनेक सच्चाइयों को जानें और उस पर गम्भीरता से विचार करें।
         बरसात में भीगे हुए छोटे से भीम को अपना ब्राह्मणत्व भूल अपने घर ले जा कर पत्नी के हाथों गरम पानी से अपने ब्राह्मण पुत्र के साथ स्नान करवाने वाले अपने शिक्षक पेंडशे गुरुजी को याद करते हुए बाबा साहब अपने 50 वें जन्मदिन पर बोले ''.........
पाठशाला जीवन का वह मेरा पहला सुख था !''
बालक भीमा का कुलनाम आंबाव डेकर था जो कि अपेक्षाकृत बड़ा एवं कठिन होने के कारण अनके ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा जी केशव अम्बेडकर को अखरता था। उन्होंने बालक भीम से कहा कि इतने कठिन और अटपटे कुलनाम के स्थान पर मेरा कुलनाम  अम्बेडकर अपना लो - और गुरु जी ने पाठशाला के केटलाग - रजिस्टर सहित सभी स्थानों पर भीमा का कुलनाम अम्बेडकर लिख दिया । आज यह ब्राह्मण कुलनाम करोडों नागरिकों के लिये आदर्श है।
        आर्मी कैम्प स्कूल सताता में जाति भेद-भाव न के बराबर था। वहीं पर कृष्णाजी केशव अम्बेडकर (१८५५-१९३४) शिक्षक थे (उनके पिता केशव अम्बेडकर स्थानीय शिव मंदिर में पुजारी थे) Iश्री कृष्णाजी अपने सभी शिष्यों के प्रति समभाव रखते थे। पाठशाला में मध्याह्न अवकाश के समय जब भीमा अपने घर भोजन के लिए जाता और देर से लौटता तो गुरु जी को बुरा लगता था। इसलिए गुरुजी अपने टिफिन में थोड़ी आधिक सब्जी और रोटी लाते तथा बड़े प्यार से अपने हाथों से भीमा को देते।
        डॉ० अम्बेडकर को इस सब्जी व रोटी की मिठास जीवन भर याद रही। अपने ६०वें जन्मदिन पर आयोजित नरे पार्क (मुम्बई) की विशाल जनसभा में इस गौरवपूर्ण प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "....... विद्यालय जीवन की मेरी यह दूसरी मीठी याद है I" उन्होंने बताया कि १९३० की गोलमेज परिषद कार्य के लिये चुने जाने पर गुरूजी ने जो अभिनंदन पत्र उन्हें भेजा था, उसे आज तक उन्होंने संभालकर रखा है। जब गुरुजी अपने शिष्य से राजगृह (दादर) मिलने पहुँचे तो शिष्य अम्बेडकर ने अपने ब्राह्मण गुरु को दंडवत प्रणाम कर श्रीफल, धोती, चादर एवं सवा रुपया अर्पित कर सम्मानित किया। दिनांक २२-१२-१९३४ को गुरुजी का देहावसान हुआ जिसे जानकर अम्बेडकर को अपार दुःख पहुँचा।
          भारतीय मजदूर सभा के जनक (मराठी साहित्यकार वा० मृ० जोशी के बड़े भाई) ब्राह्मण नारायण मल्हावराय जोशी १९० २-१९०६ में मुम्बई की एलफिस्टन हाईस्कूल में अम्बेडकर के कक्षा चार्य (क्लास टीचर)थे। उन्होंने छात्र अम्बेडकर को कक्षा की अंतिम पक्ति से उठाकर प्रथम पंक्ति में बैठाया और उनसे गणित का सवाल ब्लैकबोर्ड पर हल करवाया । आगे चलकर गोलमेज सभा में अम्बेडकर ने भारतीय मजदूरों का प्रतिनिधित्व किया।
           मैट्रिक से आगे अध्ययन के लिए बड़ौदा नरेश सयाजीराव की छात्रवृत्ति पाने हेतु बम्बई में अम्बेडकर की महाराज से मुलाकात करवाने वाले यान्दे भी ब्राह्मण ही थे। गिरगाँव में उनका 'निर्णय सागर' नामक एक प्रेस था। बड़ौदा राज्य का सम्पूर्ण साहित्य-गजेट आदि वहीं छपता था। इसी कारण वह महाराजा गायकवाड के घनिष्ट सम्पर्क में थे। दादा केलुस्कर ( भंडारी जाति) उनके साथ गए थे। बाबा साहेब की महाराजा से जान-पहचान यान्दे जी ने ही करवाई थी। विदेश में उच्च अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति एवं आर्थिक सहायता के लिये दिनांक ४-७-१९१३ को बड़ौदा राज्य एवं भीमराव अम्बेडकर के मध्य अनुबंध-पत्र दाखिल किया गया जिसके लेखक एवं अम्बेडकर की तरफ से जिम्मेदारी लेने वाले त्रिभुवन जे. व्यास एवं ए. जी.जोशी ब्राह्मण ही थे।
          बहिष्कृत हितकारिणी सभा (१९२४) के अध्यक्ष चीमन लाल सेतलवाड ब्राह्मण थे। महाड़ सत्याग्रह (कोलाब जिला बहिष्कृत परिषद दिनांक १९-२० मार्च १९२७) में कार्यक्रम के अंत में डॉ० अम्बेडकर के नेतृत्व में जुलूस निकालकर 'चवदार' तालाब में प्रवेश करके पानी पीने का प्रस्ताव रखने वाले अनंतराव विनायक चित्रे (१८९४-१९५९) कायस्थ थे जिन्होंने आगे चलकर अम्बेडकर के 'जनता' साप्ताहिक के सम्पादक के रूप में वर्षों तक अपनी सेवाएं दी। चित्रे जी ने १९२८ में इंदौर में दलित विद्यार्थियों के लिये छात्रावास भी खोला।
          महाड़ सत्याग्रह के अनुक्रम में ब्राह्मण गंगाधर नीलकंठ सहस्त्रबुद्धे ने मनुस्मृति दहन का प्रस्ताव रखा और दिनांक २५.१२.१९२७ को सायं ७ से ९ बजे तक दलित साधुओं के साथ मनुस्मृति की होली जलाई। आगे चलकर वह भी 'जनता ' के सम्पादक पद पर वर्षों तक रहे। सार्वजनिक स्थानों पर दलितों के प्रवेश का प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले सीताराम केशव बोले भी भंडारी (१८६९-१९६१) थे।
          समता संघ की पत्रिका 'समता' के सम्पादक देवराम विष्णु नाइक गोवर्धन ब्राह्मण थे जो आगे चलकर 'जनता ' साप्ताहिक के संपादक बने। आप बाबा साहब के विश्वास पात्र साथी थे।
          महाड़ सत्याग्रह केस (२० मार्च १९२७) दीवानी मुकदमा ४०५/१९२७ में शंकराचार्य डा० कृतकोटि ने डा० अम्बेडकर के पक्ष में गवाही दी। इस गवही को नोट करने वाले कोर्ट कमीशन भाई साहब मेहता ब्राह्मण थे। इस मुकदमें का न्याय निर्णय डा० अम्बेडकर के पक्ष में हुआ और यह निर्णय देने वाले न्यायमूर्ति वि.वि. पंडित भी ब्राह्मण थे। १० वर्ष पश्चात् १७-३-१९३७ को हाईकोर्ट ने डा० अम्बेडकर के पक्ष में अपना निर्णय दिया था।
              महाड़ चवदार तालाब सत्याग्रह (२० मार्च १९२७) सफल हुआ। इससे आहत रुढ़िवादी सवर्णो ने दलितों पर हमला कर दिया। कई लोग घायल हुए। डा० अम्बेडकर ने फौजदारी शिकायत दर्ज करवाई। दिनांक २१.७.१९२७ को न्यायमूर्ति हुड साहब ने अपराधियों को सजा सुनाई। इस निर्णय से उत्साहित होकर डा० अम्बेडकर ने अपने पत्र 'बहिष्कृत भारत ' में दिनांक २५, २६ दिसम्बर के लिये अगले कार्यक्रम की घोषणा कर दी। लेकिन रुढ़िवादी सवर्णो ने दिनांक १२.१२.१९१७ को महाड़ सेशन जज की कोर्ट में मुकदमा नं०४०५/१९२७ दाखिल करके एक पक्षीय मनाही हुक्म प्राप्त कर लिया।
             इस बीच दिनांक ९-१० दिसम्बर,१९२७ को 'वृहद महाराष्ट्र परिषद ' की एक बैठक वेदशास्त्र पारंगत नारायण शास्त्री मारेठी की अध्यक्षता में अकोला में सम्पन्न हुई जिसमें सैकड़ों वेद शास्त्र पारंगत ब्राह्मणों ने भाग लिया। इस ब्राह्मण परिषद ने सर्वानुमत से १० प्रस्ताव पारित करके सामाजिक समरसता की जोरदार वकालत की। इसके अतिरिक्त प्रस्ताव १३ पारित करके यह घोषणा की कि 'अस्पृश्यता शास्त्र आधारित नहीं है और मानव मात्र को वेद अध्ययन का अधिकार है ' । साथ ही पाठशाला, धर्मशाला, मंदिर, बावड़ी, कुँआ, तालाब आदि स्थानों पर सभी को प्रवेश करने का अधिकार है। किसी को अस्पृश्य नही मानना चाहिये।
              इस परिषद के मुख्य संचालकों में पांडुरंग भास्कर शास्त्री पालेय (ब्राह्मण ) थे। डा० अम्बेडकर को जो अपेक्षायें थीं वह इस परिषद ने प्रस्ताव द्वारा पारित की। महाड़ के रूढ़िवादी सवर्णों के मुकदमें के प्रत्युत्तर में डा० अम्बेडकर ने पांडुरंग भास्कर शास्त्री पालेय द्वारा पुस्तक में से उद्धृत श्लोकों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। इसमें स्पष्ट किया गया था कि अस्पृश्य के स्पर्श से पानी या कोई भी वस्तु अपवित्र नहीं हो जाती। शास्त्री जी (पालेय) ने स्मृतियों के आधार पर सभी साक्ष्य जमा किये थे। परिणामस्वरूप मुकदमा करने वाले मुख्य वादी पांडुरंग रघुनाथ धारप की हताशा से मृत्यु हो गई। अन्य आठ रुढ़िवादी सवर्ण दूसरी सुनवाई पर उपस्थित नहीं हुए। अंत में निचली अदालत ने मुकदमा खारिज कर दिया।
             'समता संघ' के प्रमुख कार्यकर्ता कमलकांत वासुदेव चित्रे (१८९४-१९४७) सिद्धार्थ कालेज की स्थापना एवं विकाश कार्यो में बाबा साहब के सहयोगी थे। वह पीपुल्स एजूकेशन सोसाइटी के गवर्निग बॉडी के सदस्य थे। डा० बाबा साहेब के पुनर्विवाह के अवसर पर दिल्ली में विवाह रजिस्ट्रार के समक्ष डा० शारदा कबीर (वधु) के पक्ष में हस्ताक्षर करने वाले डा० शारदा के भाई बसंत कबीर एवं कमलकांत चित्रे ब्राह्मण थे।
       'स्वतंत्र मजदूर पक्ष ' के महामंत्री बैरिस्टर समर्थ कायस्थ थे। वकालत के व्यवसाय में डा० बाबा साहब उन्हें अपने साथ रखते थे। वह 'म्युनिसिपल कामदार संघ ' के उपाध्यक्ष भी थे।
            १९४५ में डा० अम्बेडकर को सर्वप्रथम सम्मान पत्र से सम्मानित करने वाले शोलापुर म्युनिसिपल के अध्यक्ष डा० वी. वी. मूले ब्राह्मण थे। सम्मान पत्र के प्रत्युत्तर में डा० अम्बेडकर ने कहा कि आज से २० वर्ष पूर्व डा० वी.वी. मूले के सहयोग से ही वह समाज सेवा के कार्य में सक्रियता से जुड़े।
         स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में डा० अम्बेडकर को सम्मिलित करने के लिये आग्रह करने वाले चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य (रामजी) भी ब्राह्मण थे।
            १९४८ में डा० अम्बेडकर ने शारदा कृष्ण राव कबीर नामक सारस्वत ब्राह्मण महिला के साथ पुनर्विवाह किया। महाराष्ट्रीयन परंपरा के अनुसार विवाह पश्चात डा० अम्बेडकर ने उनका सविता नामकरण किया। डा० अम्बेडकर ने दिनांक १.९.१९५७ को राष्ट्रपति डा० राजेन्द्र प्रसाद के हाथों मिलिंद महाविद्यालय औरंगाबाद का शिलान्यास करवाया। डा० राजेन्द्र प्रसाद कायस्थ थे।
             डा० अम्बेडकर ने १९५४ में भारतीय बौद्ध महासभा नामक संस्था का रजिस्ट्रेशन कराया। इस बौद्ध संस्था में एक ट्रस्टी के रूप में बाल कृष्ण राव कबीर (डा० शारदा कबीर के भाई एवं बाबा साहेब के साले) को लिया गया जो कि सारस्वत ब्राह्मण थे। भारतीय बौद्ध महासभा का प्रथम नाम भारतीय बौद्ध जनसंघ (१९५१) था। तत्पश्चात भारतीय बौद्ध जन समिति (१९५३) और अंत में भारतीय बौद्ध महासभा रखा गया।
         पूज्य बोधिसत्व डा० बाबा साहेब अम्बेडकर तथागत बुद्ध के शरण में गए...'बुद्धं शरणं गच्छामि.....।' तथागत बुद्ध पूर्व में सिद्धार्थ थे, जिनकी प्रारंभिक शिक्षा आठ ब्राह्मणों - कोंडम्य, राम, ध्वज, लक्ष्मण, सुयां, सुदत्र, भोज द्वारा सम्पन्न हुई। भगवान बुद्ध के प्रथम पाँच शिष्य पंचवर्गीय भिक्षु - कौंडिन्य, वम्प, महानाम, अश्वजित एवं भद्दीय भी ब्राह्मण ही थे। महाकारुणिक बुद्ध के भिक्षु संघ में ७५ प्रतिशत ब्राह्मण थे। उनके प्रमुख शिष्य धम्म सेनापति सारिकपुत्र (बुद्ध का दाहिना हाथ), महामोगल्लायन (बायाँ हाथ), कौंडिन्य (मेरुदण्ड), महाकाश्यम (बायाँ कान) भी ब्राह्मण ही थे।
               बौद्ध धर्म का विदेशों में प्रचार करने वाले प्रमुख रुप से ब्राह्मण ही थे। अन्त में महात्मा बुद्ध की पवित्र अस्थियों के लिए जब आपस में कलह हुई, तब उसका समाधान करने वाला शिक्षक द्रोण ब्राह्मण ही था Iउन्होंने गौतम बुद्ध की पवित्र अस्थियाँ जिस पात्र में रखी गईं थी, वह मिट्टी का पात्र मांगा और कहा, 'मुझे यह खाली मटका दे दो, मैं उसके ऊपर कुंभ को स्तूप बनवाकर पूजा करुँगा।' थोड़ी देर से आने वाले पिप्पली वन के मौर्यों को बची हुई राख एवं कोयले को स्वीकार कर संतोष करना पड़ा था। इस प्रकार कलह के स्थान पर दस स्तूपों का सृजन उस ब्राह्मण द्रोण की दूरदृष्टि का परिणाम था।
           दिनांक १४ अक्टूबर, १९५४ को विजया दशमी के दिन नागपुर में बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा स्वीकार करने वाले एडवोकेट अनंत रामचन्द्र कुलकर्णी (मंत्री, बौद्ध समिति) और नागपुर सेशन जज . न्यायमूर्ति भवानी शंकार नियोगी भी ब्राह्मण थे। कुलकर्णी १९४० से नागपुर में बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहे थे। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित नियोगी कमीशन रिपोर्ट में इस बौद्ध कार्यकर्ता ने ईसाई धर्मान्तरण के विरोध की सिफारिश की थी।
           इस प्रकार समाज सेवा कार्य एवं संघर्ष में ब्राह्मणों ने डा० अम्बेडकर का पूरा साथ दिया था। इसे हम डा० बाबा साहेब अम्बेडकर एवं ब्राह्मणों के मध्य ऋणानुबंधी सम्बन्ध कहें अथवा मात्र संयोग....... किन्तु सत्य, हकीकत, वास्तविकता यही है।

(लेखक - धम्मबन्धु डॉ० पी. जी.ज्योतिकर, भारतीय बौद्ध महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है और डा० भीमराव अम्बेडकर पर लिखित शोध-प्रबन्ध पर उन्हें डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त है)

Thursday, April 9, 2020

गृहिणी

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" ताटातलं वाटीतच राहील "  आमच्याकडे ही पारंपारीक पद्धत आहे 

1. दुधाच्या पिशव्या घरात घ्यायच्या, त्याच बरोबर त्या पिशव्यांसाठी बाहेर लटकवलेली पिशवी पण घरात  घ्यायची (कारण दाराबाहेर ती खराब दिसते! )  
2. दूध तापवून घ्यायचं 
3. कालच्या दुधावरची साय काढून वेगळ्या भांड्यात जमा करायची 
4. कालचं दूध वेगळं तापवायचं 
5. चहा करायचा  
6. मधुमेही सदस्यांसाठी वेगळा चहा बनवायचा  
7. गाळणी मधून चहापत्ती काढून कुंडीतील तुळशीला  घालायची 
8. दुधाच्या पिशव्या धुवून किचनमधील टाईलवर सुखवायला चिकटवून टाकायच्या 
9.  कुटुंबियांना चहा द्यायचा
10.  मुलाबाळांना झोपेतून प्रेमाने उठवायचा प्रयत्न करायचा 
11. त्यांना दूध द्यायचं, बोर्नव्हिटा किंवा तत्सम त्या दुधात मिसळायला विसरायचं नाही !
12. सासू, सासरे, नणंदा, दीर (असतील तर) आणि पती यांची औषधं काढून ठेवायची 
13. चहाचे कप विसळायचे 
14. नाश्त्याच्या आणि दुपारच्या डब्यांकरतां स्वयंपाक बनवायची तयारी चालू करायची 
15. कालच्या दुधाला विरजण लावायला विसरायचा नाही !
16. मुलांचे युनिफॉर्म्स त्यांना द्यायचे, कारण, कपाटात समोर असलेल्या गोष्टी त्यांना दिसत नाहीत ! 
17. मुलांची सकूलबॅग भरायला मदत करायची 
18.  मुलांची परीक्षा कोणती आणि कधी आहे हे डोक्यात ठेवून त्याप्रमाणे त्यांची पुस्तके आणि डबे भरून द्यायचे 
19 . मुलांचा एखादा प्रोजेक्ट अर्धवट राहिला असेल तर त्यात त्यांना थोडीशी मदत करायची 
20. मधेच नवरा बाथरूम मधून प्रेमळ आवाजात "बोंबलतो" ----  " अगं माझा टॉवेल दे ", न चिडता त्याला टॉवेल नेऊन द्यायचा 
21. कचरा नेणारा  सफाई कामगार बेल वाजवतो, पटकन आपले कचरा भांडे घराबाहेर द्यायचे, ते परत घरात घेऊन त्यात गार्बेज बॅग लावायची  
22. पेपरवाला बेल वाजवतो, पटकन ते घ्यायचे कारण, सासर्यांना किंवा नवऱ्याला ते वाचायची घाई झालेली असते 
23. शाळेची बस यायच्याआधी मुलांच्या पाप्या घेऊन त्यांना खाली रस्त्यावर सोडायला जायचं 
24. स्वतःचं आवरताना बाथरूम मध्ये पटकन बेसीन आणि टाईल्स वर स्वच्छतेचा हात फिरवायचा 
25. ओटा आवरायचं आणि पुसायचचं काम तर अगदी मस्ट  
26. नाश्ता आणि डबे बनवताना घरात काय संपलाय, शिधा / भाजी काय आणायला लागणार आहे याची नोंद डोक्यात ठेवायची 
27. भांडीवाली यायच्या आधी काचेची भांडी धुवून / घासून ठेवायची 
28. काल वाळत घातलेले कपडे तारेवरून काढून घ्यायचे 
29. आजचे वॉशिंग मशीन लावायचे 
30. पायपुसणी बदलायची 
31. बाथरूम मधले टॉवेल बदलायचे 
32. बाथरूम मधल्या आरशांवरच्या टिकल्या काढायचा प्रयत्न करायचा 
33. झाडू पोछावाल्या आणि भांडी घासणाऱ्या बाईंकरता सुयोग्य परिस्थिती निर्माण करून ठेवायची 
हुश्शशशश ........ 

सकाळी दोन तासात ही कमीतकमी ३3 कामं (ती सुद्धा मल्टिटास्क) करायची म्हणजे काय खायची गोष्ट नाहीये ! प्रत्येक टास्कला तीन मिनिट्स आणि सहा सेकन्द्स मिळतात) सुट्टी नाही ! कोण करतं असं ? वेगळा पगार मिळालाच पाहिजे, अरे या हार्डकोअर प्रांजळ गृहिणी वेगळा पगार घेऊन काय करणार ? " ताटातलं वाटीतच राहील "

Monday, April 6, 2020

हिंदू धर्म

पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -
1. युधिष्ठिर    2. भीम    3. अर्जुन
4. नकुल।      5. सहदेव

( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )

यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।

वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -
1. दुर्योधन      2. दुःशासन   3. दुःसह
4. दुःशल        5. जलसंघ    6. सम
7. सह            8. विंद         9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष       11. सुबाहु।   12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण।   14. दुर्मुख     15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण     17. शल       18. सत्वान
19. सुलोचन   20. चित्र       21. उपचित्र
22. चित्राक्ष     23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद।       26. दुर्विगाह  27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द।        32. उपनन्द   33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा    35. सुवर्मा    36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु   38. महाबाहु  39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग  42. भीमबल
43. बालाकि    44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण       47. कुण्डधर  48. महोदर
49. चित्रायुध   50. निषंगी     51. पाशी
52. वृन्दारक   53. दृढ़वर्मा    54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति  56. अनूदर    57. दढ़संघ 58. जरासंघ   59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा   62. उग्रसेन     63. सेनानी
64. दुष्पराजय        65. अपराजित 
66. कुण्डशायी        67. विशालाक्ष
68. दुराधर   69. दृढ़हस्त    70. सुहस्त
71. वातवेग  72. सुवर्च    73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी   75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि    78. क्रथन। 79. कुण्डी 
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर  82. वीरबाहु
83. अलोलुप  84. अभय  85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय    87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी।     89. विरवि
90. चित्रकुण्डल    91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि    93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान     95. दीर्घबाहु
96. सुजात।         97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी        99. विरज
100. युयुत्सु

( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,
जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )

"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-

ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। 

ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।

ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।

ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी 

ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।

ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में

ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।

ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय

ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक

ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। 

ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा 
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने

ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को

ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में

ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।

ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद

ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना

ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85 
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.

अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद

अधूरा ज्ञान खतरना होता है।

33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।

कोटि = प्रकार। 
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,

कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।

हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...

कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-

12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!

8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

11 प्रकार है :- 
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।

एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।

कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी 

अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है
तो इस जानकारी को अधिक से अधिक
लोगो तक पहुचाएं। ।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है

This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ...

अब आपकी बारी है कि इस जानकारी को आगे बढ़ाएँ ......

अपनी भारत की संस्कृति 
को पहचाने.
ज्यादा से ज्यादा
लोगो तक पहुचाये. 
खासकर अपने बच्चो को बताए 
क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं बताएगा...

📜😇  दो पक्ष-

कृष्ण पक्ष , 
शुक्ल पक्ष !

📜😇  तीन ऋण -

देव ऋण , 
पितृ ऋण , 
ऋषि ऋण !

📜😇   चार युग -

सतयुग , 
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग , 
कलियुग !

📜😇  चार धाम -

द्वारिका , 
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी , 
रामेश्वरम धाम !

📜😇   चारपीठ -

शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) 
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) , 
शृंगेरीपीठ !

📜😇 चार वेद-

ऋग्वेद , 
अथर्वेद , 
यजुर्वेद , 
सामवेद !

📜😇  चार आश्रम -

ब्रह्मचर्य , 
गृहस्थ , 
वानप्रस्थ , 
संन्यास !

📜😇 चार अंतःकरण -

मन , 
बुद्धि , 
चित्त , 
अहंकार !

📜😇  पञ्च गव्य -

गाय का घी , 
दूध , 
दही ,
गोमूत्र , 
गोबर !

📜😇  पञ्च देव -

गणेश , 
विष्णु , 
शिव , 
देवी ,
सूर्य !

📜😇 पंच तत्त्व -

पृथ्वी ,
जल , 
अग्नि , 
वायु , 
आकाश !

📜😇  छह दर्शन -

वैशेषिक , 
न्याय , 
सांख्य ,
योग , 
पूर्व मिसांसा , 
दक्षिण मिसांसा !

📜😇  सप्त ऋषि -

विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज , 
गौतम , 
अत्री , 
वशिष्ठ और कश्यप! 

📜😇  सप्त पुरी -

अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी , 
माया पुरी ( हरिद्वार ) , 
काशी ,
कांची 
( शिन कांची - विष्णु कांची ) , 
अवंतिका और 
द्वारिका पुरी !

📜😊  आठ योग - 

यम , 
नियम , 
आसन ,
प्राणायाम , 
प्रत्याहार , 
धारणा , 
ध्यान एवं 
समािध !

📜😇 आठ लक्ष्मी -

आग्घ , 
विद्या , 
सौभाग्य ,
अमृत , 
काम , 
सत्य , 
भोग ,एवं 
योग लक्ष्मी !

📜😇 नव दुर्गा --

शैल पुत्री , 
ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा , 
कुष्मांडा , 
स्कंदमाता , 
कात्यायिनी ,
कालरात्रि , 
महागौरी एवं 
सिद्धिदात्री !

📜😇   दस दिशाएं -

पूर्व , 
पश्चिम , 
उत्तर , 
दक्षिण ,
ईशान , 
नैऋत्य , 
वायव्य , 
अग्नि 
आकाश एवं 
पाताल !

📜😇  मुख्य ११ अवतार -

 मत्स्य , 
कच्छप , 
वराह ,
नरसिंह , 
वामन , 
परशुराम ,
श्री राम , 
कृष्ण , 
बलराम , 
बुद्ध , 
एवं कल्कि !

📜😇 बारह मास - 

चैत्र , 
वैशाख , 
ज्येष्ठ ,
अषाढ , 
श्रावण , 
भाद्रपद , 
अश्विन , 
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष , 
पौष , 
माघ , 
फागुन !

📜😇  बारह राशी - 

मेष , 
वृषभ , 
मिथुन ,
कर्क , 
सिंह , 
कन्या , 
तुला , 
वृश्चिक , 
धनु , 
मकर , 
कुंभ , 
मीन!

📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग - 

सोमनाथ ,
मल्लिकार्जुन ,
महाकाल , 
ओमकारेश्वर , 
बैजनाथ , 
रामेश्वरम ,
विश्वनाथ , 
त्र्यंबकेश्वर , 
केदारनाथ , 
घुष्नेश्वर ,
भीमाशंकर ,
नागेश्वर !

📜😇 पंद्रह तिथियाँ - 

प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी , 
पंचमी , 
षष्ठी , 
सप्तमी , 
अष्टमी , 
नवमी ,
दशमी , 
एकादशी , 
द्वादशी , 
त्रयोदशी , 
चतुर्दशी , 
पूर्णिमा , 
अमावास्या !

📜😇 स्मृतियां - 

मनु , 
विष्णु , 
अत्री , 
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना , 
अंगीरा , 
यम , 
आपस्तम्ब , 
सर्वत ,
कात्यायन , 
ब्रहस्पति , 
पराशर , 
व्यास , 
शांख्य ,
लिखित , 
दक्ष , 
शातातप , 
वशिष्ठ !

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