Saturday, January 14, 2017

नरगिस की शादी की बात सुन हर रात बाथ टब में लेटकर रोते थे राज कपूर, सिगरेट से खुद को जला लिया था

आज बॉलीवुड फ्लैशबैक में हम ऐसी लव स्टोरी के बारे में बताएंगे जिसमें प्यार हुआ, इकरार हुआ लेकिन ये प्यार करने वाले कभी एक ना हो सके। ये दास्तां है नरगिस और राज कपूर के बेइंतहा मोहब्बत की। साल 1946... राज कपूर ने फिल्म 'आग' का निर्देशन शुरू कर दिया था। इस फिल्म के लिए राज कपूर स्टूडियो की तलाश में थे। उन्हें पता चला कि नरगिस की मां जद्दन बाई मुंबई के 'फेमस स्टूडियो' में रोमिया-जूलियट बना रही हैं।

वो 'फेमस स्टूडियो' के बारे में जानना चाहते थे इसलिए राज कपूर जद्दन बाई के घर पहुंच गए। वो नहीं जानते थे कि उस दिन उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आने वाला है। उस दिन जद्दन बाई घर पर नहीं थीं। घर का दरवाजा उनकी बेटी नरगिस ने खोला। नर्गिस बेहद खूबसूरत थीं। इस पहली मुलाकात से नरगिस और राज कपूर दोनों की जिंदगी बदल गई। इस मुलाकात का राज कपूर पर इतना गहरा असर हुआ कि 27 साद बाद उन्होंने फिल्म बॉबी में उस पल को हूबहू पर्दे पर उतार दिया।

पहली मुलाकात में ही दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे। उस वक्त नरगिस क्या सोच रही थीं इस बारे में लेखक टीजेएस जॉर्ज की किताब 'द लाइफ एंड टाइम ऑफ नरगिस' में बखूबी बयां किया गया है। इस मुलाकात के बारे में नरगिस ने अपनी दोस्त नीलम को बताया था, 'नीली आंखों वाला एक मोटा सा ‘पिंकी’ घर आया था'। दरअसल, उस दिन दोनों की कोई बात नहीं हुई थी। राज कपूर नरगिस को घर में अकेले देख घबरा गए थे और तुरंत वापस लौट गए।

नरगिस से मुलाकात के बाद वो सीधा इंदर राज आनंद के घर पहुंचे। इंदर ने ही फिल्म 'आग' की स्क्रिप्ट लिखी थी। उन्होंने इंदर से कहा कि वो स्क्रिप्ट में किसी तरह नरगिस का रोल भी जोड़ दें। क्योंकि वही अब इस फिल्म की हीरोइन बनेंगी। इसके बाद राज कपूर दोबारा नरगिस से मिले और उन्हें फिल्म 'आग' के लिए साइन कर लिया। ये फिल्म 1949 में रिलीज हुई थी लेकिन बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कामयाब नहीं हो सकी थी। लेकिन राज कपूर और नरगिस के दिल में प्यार की आग लग चुकी थी।

नरगिस राज को पसंद करने लगी थीं। राज कपूर के शादीशुदा होने के बावजूद नरगिस के साथ राज कपूर का रिश्ता रील से निकलकर रियल लाइफ में पहुंच गया था। अब नरगिस उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गईं थीं। दोनों के अफेयर से उनके परिवार वाले बेहद नाराज थे। कई बार तो दोनों को मिलने से रोका गया। लेकिन प्यार के इन पंछियों ने हर जंजीर को तोड़ दिया था। इसके बाद नरगिस ने फिल्म 'बरसात' में राज कपूर के साथ काम किया। इस समय तक नरगिस ने सोच लिया था कि उनका भविष्य अब पूरी तरह राज कपूर के साथ ही है।

मधु जैन की किताब 'द कपूर्स' के मुताबिक फिल्म की शूटिंग के दौरान जब स्टूडियो में पैसे की कमी हुई तो नरगिस ने अपनी सोने की चूड़ियां बेच दी थीं। इतना ही नहीं उन्होंने कई दूसरी फिल्मों में काम करके आर.के फिल्म्स की तिजोरी फिर से भर दी थी। फिल्म 'बरसात' की शू‌टिंग के दौरान नरगिस की मां जद्दन बाई की मौत हो गई। अपनी मां की मौत के बाद नरगिस अकेली पड़ चुकीं थीं। वो वह ज्यादा से ज्यादा वक्त राज कपूर के साथ गुजारने लगीं।

10 मार्च 1950 को फिल्म 'बरसात' रिलीज हो गई और ताबड़तोड़ कमाई की। इसी फिल्म के इस एक रोमांटिक सीन ने आर.के फिल्म्स को उनका मशहूर लोगो दिया। राज कपूर और आर.के स्टूडियो, नरगिस के लिए इन दोनों से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं था। नरगिस का सारा कामकाज उनके बड़े भाई अख्तर हुसैन संभालते थे। कहते हैं नरगिस की कमाई से ही उनके परिवार का खर्च चलता था। लेकिन जब नरगिस अपनी ज्यादातर कमाई आर.के स्टूडियो में लगाने लगीं तो उनके घर में हंगामा हो गया।

इतना ही नहीं नरगिस निर्माताओं के सामने ये शर्त भी रखने लगीं थीं कि उनकी फिल्म में हीरो राज कपूर को ही बनाया जाए। लेखिका किश्वर देसाई की किताब 'डार्लिंग जी' के मुताबिक, नरगिस के बड़े भाई अख्तर हुसैन बार-बार नरगिस से कहा करते थे- बेबी तुम अपनी जिंदगी बर्बाद कर रही हो। राज कपूर को भूल जाओ, अपना कामकाज करो, अपनी मेहनत करो। शादी करके अपना घर संसार बसाओ। क्यों इस चक्कर में बैठी हो? इस बात को लेकर अख्तर हुसैन और नर्गिस के बीच कई बार जबरदस्त बहस भी हुई।

राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर ने भी उन्हें समझाने की काफी कोशिश की लेकिन राज कपूर और नरगिस का रिश्ता जारी रहा। साल 1951 में फिल्म 'आवारा' रिलीज हुई और ब्लॉकबस्टर साबित हुई। ये वो फिल्म थी जिसने राज कपूर को नरगिस से बड़ा स्टार बना दिया था। इस फिल्म की ज्यादातर समीक्षाओं में ये लिखा गया कि राज कपूर और पृथ्वीराज कपूर के रोल के सामने नरगिस का किरदार दबा हुआ नजर आया।

फिल्म 'आह' के बाद राज कपूर ने फैसला लिया कि नरगिस किसी भी बाहर के निर्माता की फिल्म में काम नहीं करेंगी। इस फैसले से नरगिस के भाई और फिल्म इंडस्ट्री में उनके करीबी लोग बेहद नाराज हुए।

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