Tuesday, September 13, 2016

वास्तु शास्त्र के नियम (Rules of vastu)

आपके घर में ख़ुशियां ही ख़ुशियां हों, इसके लिए प्यार और समझदारी के साथ-साथ घर को वास्तुशास्त्र के अनुसार सजाना भी ज़रूरी है. घर का वास्तु करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

* उत्तर दिशा में दक्षिण दिशा से ज़्यादा खुली जगह छोड़नी चाहिए. इसी तरह पूर्व में पश्‍चिम से ज़्यादा खुली जगह छोड़नी चाहिए.

* मकान की ऊंचाई दक्षिण और पश्‍चिम में ज़्यादा होनी चाहिए. मकान की सबसे ऊपरी मंज़िल उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व कोण में होनी चाहिए.

* उत्तर और पूर्व में बरामदा होना चाहिए व उस ओर की ज़मीन सामान्य ज़मीन से निचले स्तर पर होनी चाहिए. इसी तरह दूसरी छत भी अन्य हिस्से से निचले स्तर पर होनी चाहिए.

* छत हमेशा उत्तर-पूर्व, उत्तर या पूर्व की ओर होनी चाहिए. दक्षिण और पश्‍चिम में नहीं होनी चाहिए.

* मकान की चारदीवारी उत्तर और पूर्व में नीची और पश्‍चिम व दक्षिण में ऊंची होनी चाहिए.

* कार पार्किंग, नौकरों के लिए कमरा, आउटहाउस आदि दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्‍चिम कोण में होने चाहिए. उनके कमरों की दीवारों से उत्तर और पूर्व की दीवार जुड़नी नहीं चाहिए और उनकी ऊंचाई प्रमुख भवन से छोटी होनी चाहिए.

* पोर्च, पोर्टिको या बालकनी उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए. सुख, समृद्वि व स्वास्थ्य के लिए यह लाभदायक है.

* बेडरूम में बेड के लिए आदर्श स्थिति कमरे का मध्य स्थान माना गया है या फिर दक्षिण-पश्‍चिम कोना. बेड को उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार से दूर रखना चाहिए. दक्षिण या पश्‍चिम की दीवार से सटाकर रखा जा सकता है.

* मकान का ज़्यादा खुला हिस्सा पूर्व और उत्तर में होना चाहिए.

* रसोई में फ्रिज, मिक्सर और भारी सामान दक्षिण और पश्‍चिम दीवार से सटाकर रखें.

* मकान के सभी दर्पण उत्तर या पूर्व की दीवार पर होने चाहिए. दक्षिण और पश्‍चिम की दीवार पर दर्पण नहीं लगाना चाहिए. टॉयलेट के वॉश बेसिन भी उत्तर या पूर्वी दीवार पर लगाना चाहिए.

* पहली मंज़िल पर दरवाज़े और खिड़कियां ग्राउंड फ्लोर से कम या ज़्यादा होनी चाहिए, एक समान नहीं होनी चाहिए. संभव हो, तो अपना मकान बनवाते समय अपनी जन्मपत्रिका के अनुसार प्रवेशद्वार बनवाएं, परंतु इतना ज़रूर ध्यान रखें कि प्रवेशद्वार मकान के किसी भी कोण में न हो.

* द़फ़्तर या अध्ययन कक्ष में टेबल को दक्षिण या पश्‍चिम दिशा में रखें, जिससे उसमें बैठनेवाले का मुख पूर्व या उत्तर की ओर रहे.

* मकान के उत्तर-पूर्व कोण में कचरा बिल्कुल न डालें. उस जगह को साफ़-सुथरा रखें.

* प्रमुख बैठक के कमरे में सोफा आदि बैठने का फ़र्नीचर पश्‍चिम या दक्षिण दिशा में रखना चाहिए. मकान मालिकों को पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठना चाहिए.

* तिजोरी इस तरह रखनी चाहिए कि उसकी पीठ दक्षिण दिशा में हो अर्थात् खोलते समय तिजोरी का मुंह उत्तर में और हमारा मुंह दक्षिण में होना चाहिए.

* मकान के पश्‍चिम, दक्षिण और दक्षिण-पश्‍चिम भाग में वज़नी सामान रखा जाना चाहिए.

* डाइनिंग रूम में भोजन करते समय पूर्व या पश्‍चिम की ओर मुख करके भोजन करें.

* हमेशा दक्षिण या पूर्व में सिर रखकर ही सोना चाहिए.

* सोलार हीटर मकान के दक्षिण-पूर्व में रखना चाहिए. मकान पर स्थित पानी की टंकी हमेशा दक्षिण-पश्‍चिम कोने में होनी चाहिए. सीढ़ी और ल़िफ़्ट पश्‍चिम, दक्षिण दिशा में होनी चाहिए.

* बरसाती पानी की निकासी पश्‍चिम से पूर्व, दक्षिण से उत्तर और अंत में मकान के उत्तर-पूर्व कोने से होनी चाहिए.

* यदि आपके घर में लाल फूल उगते हों तो वे बाहर से दिखाई नहीं देेने चाहिए.

* बगीचे में यदि पत्थर की मूर्ति या पत्थर सजाकर बगीचा बनाया गया हो तो उसे दक्षिण-पश्‍चिम कोने में बनाना चाहिए. यह कोना भारी सामान रखने के लिए उपयुक्त है.

* दो कमरों के दरवाज़े एकदम आमने-सामने नहीं होने चाहिए.

* चौकोर या आयताकार प्लॉट सर्वश्रेष्ठ है, किंतु बहुत ज़्यादा लंबी आयताकार जगह उचित नहीं है.

* पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ऊंची दीवार या अन्य कोई निर्माण नहीं करना चाहिए. ये वास्तु के नियमों का उल्लंघन होगा.

* पूजा स्थान के लिए घर का उत्तर-पूर्व कोना या ईशान कोण सर्वोत्तम स्थान है. मूर्ति का मुंह पूर्व या पश्‍चिम की दिशा में होना चाहिए.

* रसोई के लिए सर्वोत्तम स्थान पूर्व-दक्षिण कोना यानी अग्नि कोण माना गया है.

* भवन का मध्य भाग खुला रहने देें, अथवा अन्य कमरों में आने-जाने के रास्ते की तरह इस्तेमाल करें, क्योंकि इसे ब्रह्मस्थान माना गया है.

* उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम कभी भी नहीं होना चाहिए, विशेषकर टॉयलेट. जिस फ्लैट में भी ऐसा है, वहां के लोग कभी भी प्रगति व समृद्धि प्राप्त नहीं कर पाते हैं.

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