हड्डियों की मजबूती के लिए
आधुनिक लाइफ स्टाइल की एक बीमारी आस्टियोपोरोसिस है जो चुपके से आपकी हड्डियों में अपना निवास बना लेती है जिसे आप जान भी नहीं पाते। तब जानते हैं जब वो आपकी परेशानी का सबब बन जाती है।
ऑस्टियोपोरोसिस लगभग 35 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में होने वाला आम रोग है जिसमें हड्डियां काफी कमजोर हो जाती हैं। हल्की सी चोट लगने पर, झटका लगने पर वे टूट जाती हैं।
टूटने से उनकी बनावट पर भी प्रभाव पड़ता है। जब चोट लगने पर हड्डी टूटती है तो डॉक्टरी जांच से पता चलता है कि रोगी को आस्टियोपोरोसिस की शुरूआत हो चुकी है।
प्राकृतिक रूप से हड्डियों का बनना और बिगडऩा हमारे शरीर में चलता रहता है। इसी से हड्डियों के घनत्व और हड्डियों की मजबूती निर्धारित होती है।
सामान्यतया शरीर में दो प्रकार की ग्रंथियां काम करती हैं परंतु 30 वर्ष के बाद हड्डियों में बनने की प्रक्रिया बहुत कम और गलने की प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है जिसके परिणामस्वरूप हड्डियों का कमजोर होना प्रारम्भ हो जाता है। महिलाओं में यह रोग पुरूषों की अपेक्षा अधिक होता है। उसके पीछे कारण हैं गर्भाधान, डिलीवरी के उपरांत शिशु को स्तनपान, मीनोपॉज आदि।
ऑस्टियोपोरोसिस से अपना बचाव कैसे करें, अगर यह रोग हो जाता है तो क्या करें, क्या न करें, इस बारे में सरिता विहार नई दिल्ली स्थित बोन एंड ज्वाइंट्स केयर फाउंडेशन के डायरेक्टर अस्थि रोग विशेषज्ञ डा. सुभाष शल्या से जानते हैं अधिक जानकारी:-
आस्टियोपोरोसिस के अन्य कारण
- जिन महिलाओं की संतान नहीं होती, उनमें आस्टियोपोरोसिस की आशंका बढ़ जाती है।
- आनुवंशिक रोग भी आस्टियोपोरोसिस। परिवार में पहले किसी को यदि यह रोग हुआ हो तो अगली पीढ़ी को होने की आशंका बढ़ जाती है।
- किसी कारण से महिला का गर्भाशय आपरेशन द्वारा निकालना पड़े तो उस महिला को शीघ्र इसका सामना करना पड़ सकता है।
- शीघ्र मीनोपॉज होने पर भी इस स्थिति से निपटना पड़ता है। अधिकतर भारतीय महिलाओं में 40 से 50 वर्ष तक मीनोपॉज होता है पर जब मीनोपॉज 35 से 40 वर्ष में हो जाए तो हड्डियां शीघ्र कमजोर पडऩे लगती हैं क्योंकि मीनोपॉज के कारण महिलाओं में एस्ट्रोजन हारमोन बनना बंद हो जाता है।
- डा. शल्या के अनुसार जो लोग डेस्क जॉब अधिक समय के लिए करते हों और शारीरिक श्रम कम तो ऐसे लोग भी इस चपेट में आ जाते हैं।
- नियमित व्यायाम की कमी के कारण।
- हार्मोन संबंधी रोग जैसे थायराइड या किडनी की बीमारी से ग्रस्त रोग को आस्टियोपोरोसिस हो सकता है।
डा. शल्या के अनुसार खाने में कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन की कमी से भी हड्डियां शीघ्र कमजोर पड़ती हैं।
डा. शल्या कहते हैं,'अगर आस्टियोपोरोसिस के बारे में सही समय पर पता चल जाए तो इसे बढऩे से रोका जा सकता है और हड्डियों को हुए नुक्सान को भी कम किया जा सकता है यदि हम अपने लाइफस्टाइल में सुधार ले आएं तो।
कैसे करें बचाव
- आस्टियोपोरोसिस के प्रति जागरूकता इसका पहला इलाज है। यदि इनके कारणों के बारे में पता हो तो इसके होने की आशंका कम हो जाती है।
- खाने में कैल्शियम की सही मात्रा का सेवन करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें जैसे तेज चलना, तैरना, साइकलिंग आदि। इसमें तैरना आस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए उत्तम व्यायाम है।
- नियमित रूप से सलाद व स्प्राउट्स का सेवन करें।
- मीनोपॉज के बाद बोन डेंसिटी टेस्ट करवायें।
- अधिक तैलीय भोजन का प्रयोग न करें।
- डायटिंग न करें।
- धूम्रपान और शराब का सेवन न करें।
- चॉय काफी का सेवन न करें।
- सॉफ्ट ड्रिंक्स भी न पिएं क्योंकि इनमें सल्फर व फास्फोरस अधिक होता है जो कैल्शियम को नष्ट करता है।
- कद के मुताबिक वजन अधिक न बढऩे दें।
-मेघा
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