प्रभु अवतार
1 . नंदी का रावण को श्राप :- एक बार रावण भगवान शिव से भेट करने कैलाश पर्वत गया तो बिछ मार्ग में ही रावण का समाना नंदी से हो गया. नंदी के मुख को देख रावण जोर-जोर से हसने लगा तथा उन्हें वानर कह क़र चिढ़ाने लगा. तब नंदी ने रावण को श्राप दिया की एक दिन वानरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा.
2 . राजा अनरण्य का रावण को श्राप :- वाल्मीकि रामायण के अनुसार रघुवंश में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका नाम अनरण्य था. जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुई. उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई. मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा. इन्हीं के वंश में आगे जाकर भगवान श्रीराम ने जन्म लिया और रावण का वध किया.
3 . तपस्वनी का रावण को श्राप :- वाल्मीकि रामयाण के अनुसार एक बार एक तपस्विनी भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु की तपस्या क़र रही. आकाश मार्ग से जाते हुए रावण की नजर उस तपस्वनी पर पड़ी और वह उस पर आकर्षित हो गया. उसने तपस्विनी के बाल पकड़कर उसे लंका ले जाने की कोशिश करी परन्तु उस तपस्विनी ने अग्नि में भष्म होकर अपने प्राणो की आहुति दे दी तथा रावण को श्राप दिया की स्त्री के कारण ही तेरा नाश होगा.
4 . शूर्पणखा का रावण को श्राप :-वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था. वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था. रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ. उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया. तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा.
5 . माया का रावण को श्राप :- लंकापति रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया के साथ भी एक बार छल किया था . माया के पति का नाम शंभर था तथा वे वैजयंतपुर के राजा थे. एक बार रावण वैजयंतपुर राजा शंभर से मिलने गया तथा उसने अपने भ्रम जाल से माया को फसा लिया व उसके पतिव्रता व्रत को भंग क़र दिया. जब राजा शंभर को इस बात का पता चला तो वह क्रोधित होकर रावण से युद्ध करने गया परन्तु रावण के सामने वो ज्यादा देर टिक न सका तथा रावण ने उसका वध क़र दिया. जब माया को रावण ने अपने साथ लंका ले जाने की कोशिश करी तो वह अपने पति के चिता में जा क़र सती हो गई और रावण को स्त्री के कारण मृत्यु का श्राप मिला.
6 .ब्राह्मण दंपत्ति का राजा दशरथ को श्राप :- वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार जब राजा दशरथ शिकार करने वन में गए तो गलती से उन्होंने एक ब्राह्मण पुत्र का वध कर दिया. उस ब्राह्मण पुत्र के माता-पिता अंधे थे. जब उन्हें अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार मिला तो उन्होंने राजा दशरथ को श्राप दिया कि जिस प्रकार हम पुत्र वियोग में अपने प्राणों का त्याग कर रहे हैं, उसी प्रकार तुम्हारी मृत्यु भी पुत्र वियोग के कारण ही होगी.
7 . नंदी का ब्राह्मणो को श्राप :- शिवपुराण के अनुसार जब दक्ष प्रजापति ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था तब अनेक देवता, ऋषिगण एवं महात्मा वहां पधारे थे. जब राज दक्ष ने यज्ञ में भगवान शिव का तिस्कार किया था तब ब्राह्मणो ने भी इस पर दक्ष का साथ दिया. इसलिए नंदी ने ब्राह्मणो को श्राप देते हुए कहा था की दुष्ट ब्राह्मण स्वर्ग को ही श्रेष्ठ मानेंगे तथा क्रोध, लोभ व मोह से पूर्ण होंगे. शुद्रो का यज्ञ करवाने वाले ब्राह्मण दरिद्र होंगे.
8 . रावण को नलकुबेर का श्राप :- वाल्मीकि रामयण में यह वर्णन आया है की जब एक बार रावण अपने विश्व विजयी अभियान में निकला था तो इस अभियान के कारण वह स्वर्गलोक भी पहुंचा था . जहां रम्भा नाम की एक अप्सरा पर वह आकर्षित हो गया . जब उसने रम्भा को पकड़ने की कोशिश की तो वह बोली की में आपकी भाई कुबेर के पुत्र के लिए आरक्षित हु तथा में आपके पुत्रवधु के समान हु. परन्तु रावण ने उस अप्सरा के साथ दुराचार किया जब यह बात कुबेर के पुत्र निल कुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया की यदि रावण बिना किसी स्त्री के इच्छा के विरुद्ध उसे सपर्श करेगा तो उसके सर के सौ टुकड़े हो जाएंगे.
9 . नारद का भगवान विष्णु को श्राप :- पुराणों में एक कथा के अनुसार एक बार देवऋषि नारद एक स्त्री पर आकर्षित हो गये. तथा वे भगवान विष्णु के पास गये व उनसे यह वरदान माँगा की मुझे ऐसा रूप प्रदान करें की हर कोई मुझे ही देखे. भगवान विष्णु ने उन्हें वानर का मुख प्रदान किया तथा जब वे उस स्त्री के महल में गए तो हर कोई उन्हें देखने लगा परन्तु वह स्त्री उन्हें देख क़र भय से भाग गई . तब नारद मुनि ने क्रोध में आकर भगवान विष्णु को यह श्राप दिया क
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