विवाहित होने के बाद भी मानी गई कुवांरी, जानें कौन है ये पंचकन्या
India Voice
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पांच ऐसी देवीयां है जिन्हे विवाह के उपरांत भी उन्हें कन्या कहां जाता है। अहिल्या, द्रोपदी, कुंती, तारा और मंदोदरी ये वो पंचकन्या है जिनका स्मरण करने से भी आपके पाप खत्म हो जाते हैं। इन पांच को अक्षतकुमारी माना गया है। अचंभित करने वाली बात ये है कि ये पांचों विवाहित तो हैं ही साथ ही इनके अपने पति के अलावा अन्य पुरुष से भी संबंध हुए हैं। लेकिन फिर भी शास्त्रों में इन्हें कौमार्या माना गया है। आइए जानें इन पंचकन्याओं से जूड़े तथ्य
अहिल्या
ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या बहुत सुंदर थी। एक बार देवराज इंद्र यहां वहां घूम रहे थे तभी उनकी नज़र गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या पर पड़ी और वे मोहित हो गए। जब गौतम ऋषि सुबह अपने स्नान और पूजन के लिए घर से निकले तो इंद्र गौतम ऋषि का रूप बनाकर मौके का फायदा उठाने पहुच गए और अहिल्या से संबंध बनाए। तभी ऋषि गौतम भी लौट आए और जब उन्होंने अपनी पत्नी को किसी और पुरुष के साथ देखा तो उन्होने क्रोधवश देवी अहिल्या को पत्थर बन जाने का श्राप दिया। जब क्रोध शांत होने पर उन्हें पूरा सच पता चला तो उन्होंने अहिल्या को राम के पैरों से स्पर्श होने पर इस श्राप से मुक्त होने का आशीर्वाद दिया। देवी अहिल्या अपने पति के प्रति पूरी तरह निष्ठावान थी। इसलिए अपनी गलती नही होने के बावजूद गौतम ऋषि द्वारा दिए गए श्राप को उन्होंने स्वीकार कर लिया। यही वजह है कि देवी अहिल्या को कौमार्या माना गया है।
मंदोदरी
मंदोदरी की सुंदरता को देखकर रावण ने उससे विवाह किया। मगर मंदोदरी सुंदर होने के साथ बुद्धिमान भी थी। वो हर वक्त रावण को कई बार सही और गलत का अंतर समझाया, लेकिन उसने कभी भी मंदोदरी की बातों पर ध्यान नही दिया। मंदोदरी के इन्ही गुणों के कारण उन्हें महान माना गया है और उनकी पवित्रता को कन्याओं के तुल्य माना गया है।
तारा
शास्त्रों के अनुसार तारा का जन्म समुद्र मंथन की वजह से हुआ था और भगवान विष्णु ने उसका विवाह बालि से करवाया था। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि जब बालि युद्ध करने गया और वापस नहीं लौटा तो सभी ने उसे मृत मान लिया। तब सुग्रीव ने तारा को अपनी पत्नी बनाया और राज्य को भी संभाल लिया। जब बालि वापस आया तो सुग्रीव से युद्ध करके उसे भगा दिया और उसकी पत्नी को अपने पास रख लिया। सुग्रीव को जब श्रीराम का साथ मिला तो उसने वापस आकर बालि को युद्ध के लिए ललकारा तब तारा समझ गई की सुग्रीव अकेला नही आया है। इसलिए उसने बाली को समझाने की कोशिश की लेकिन बालि को लगा तारा सुग्रीव का साथ दे रही है। सुग्रीव से युद्ध किया और श्रीराम ने उसका वध कर दिया। मरते वक्त बालि ने सुग्रीव से कहा हर बात में तारा से विचार-विमर्श करना। तारा ने हर परिस्थिति में अपने पति के लिए अच्छा चाहा। उसने कभी सुग्रीव का साथ नहीं चाहा, लेकिन फिर भी जब बाली ने उसका त्याग किया तो उस त्याग को बिना कुछ कहे स्वीकार कर लिया। यही कारण है कि उनकी पवित्रता को कन्याओं के समान माना गया है।
कुंती
राजा पांडु की पत्नी और तीन पांडवों की माता कुंती को ऋषि दुर्वासा ने वरदान के रुप में एक मंत्र दिया था जिससे वो जिस भी देवता का ध्यान कर उस मंत्र का जप करेंगी, वह देवता उन्हें पुत्र रत्न प्रदान करेंगा। कुंती ने उस मंत्र को परखने के लिए सूर्य का ध्यान किया तो सूर्यदेव प्रकट होकर उन्हें पुत्र प्रदान किया। इस तरह कर्ण का जन्म हुआ। पर उस समय वो अविवाहित थी इसलिए उन्हें कर्ण का त्याग करना पड़ा। स्वयंवर में कुंती और पांडु का विवाह हुआ। पांडु को एक शाप था कि वह स्त्री को स्पर्श करेंगे तो मृत्यु हो जाएगी। पांडु की मृत्यु के बाद राज्य अनाथ न हो इसलिए कुंती ने धर्म देव से युधिष्ठिर, वायुदेव से भीम और इंद्र देव से अर्जुन को पाया। यही कारण है कि अलग-अलग देवताओं से संतान पाने के बाद भी कुंती को कौमार्या माना गया है।
द्रौपदी
पांच पतियों की पत्नी बनने वाली द्रौपदी को महाभारत की नायिका भी माना जाता है। माता कुंती के कहने पर पांचों भाइयों की पत्नी बनकर रहने वाली द्रौपदी व्यक्तित्व काफी मजबूत था। जीवनभर उन्होनें पांचों पांडवों का हर परिस्थिति में साथ दिया। अपनी खुशी के विपरित अपने कुल और राज्य के भविष्य के लिए कुंती ने पांचों पांडवों की पत्नी होने का निर्णय लिया। इसलिए उनके स्मरण से पाप का नाश होता है।
No comments:
Post a Comment