Saturday, May 21, 2016

सोनं

एक बार ज़रूर पढ़ें : एक्साइज ड्यूटी क्या है?

मान लीजिये आप किसी सोनार के पास गए सोना खरीदने। आपने 10 ग्राम प्योर सोना 30,000/- रुपये का खरीदा। फिर उसी सोने से उसी सोनार को हार बनाने के लिए दिया। सोनार ने आपसे कहा की 2000/- रुपये बनायी अलग से लगेगी। आपने कहा ठीक है, फिर आपने रसीद लिया और घर चले आए। इधर सोनार ने 1 ग्राम सोना निकाल लिया और 1 ग्राम का टाका लगा दिया। "क्यों बिना टाके के हार नही बन सकता?" यानी की 1 ग्राम सोना 3000/- रुपये का निकाल लिया और 2000/- रुपये बनायी अलग से ले ली। यानी आपको 5000/- रुपये का झटका लग गया। अब आपके 30 हजार रुपये सोने की किमत मात्र 25 हजार रुपये बची और सोना भी 1 ग्राम कम हो कर 9 ग्राम शेष बचा।
बात यहीं खत्म नहीं हुई उसके बाद अगर आप पुन: उसी सोने के हार को बेचने या कोई और आभूषण बनवाने पुन: उसी सोनार के पास जाते हैं तो वह सबसे पहले टाका काटता है और सफाई करने के नाम पर 0.5 ग्राम सोना झाड़ लेता है। अब आपके पास मात्र 8.5 ग्राम सोना बचता है। यानी की 32 हजार (बनाई लेकर) का सोना मात्र 25,500/- रुपये का बचा।

आप जानते हैं कि आपने : 30,000/- रुपये का सोना खरीदा + 2000/- रुपये बनायी दिए = 32,000/- रुपये 1 ग्राम का टाका यानी 3000/- रुपए = 35,000/- + 0.5 पुन: बेचने या तुड़वाने पर कटा सफाई के नाम पर = 1500/- रुपये।
शेष बचा सोना 8.5 ग्राम। यानी 32,000/- रुपये में खरीदा अब उसकी किमत 25,500/- यानी ग्राहक को घाटा = 6500/- रुपये का।

एक्साइज ड्यूटी लगने पर सोनार को रसीद के आधार पर उपभोक्ता को पूरा सोना देना होगा और जितने ग्राम का टाका लगेगा उसका सोने के तौल पर कोई फर्क नही पड़ेगा। जैसा की आपके सोने की तौल 10 ग्राम है और टाका 1 ग्राम का लगा तो सोनार को रसीद के आधार पर 11 ग्राम वजन करके उपभोक्ता को देना होगा इसी वजह से उनकी फटी पड़ी है और  यही वजह है कि सोनार हड़ताल पर हैं क्यों? क्योंकि उनकी पोल खुल गई है।

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