कोई भी कार्य करने से पूर्व बोलें 'सुंदरकाण्ड' की ये चौपाई, अवश्य मिलेगी सफलता
कई दफा लोग किसी कार्य को पूरी मेहनत तथा लगन के साथ करते हैं किन्तु वो कार्य बनते-बनते बिगड़ जाती है. यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता है तो केवल एक चौपाई के जाप से आपका कार्य बन सकता हैं. ये चौपाई सुंदरकाण्ड में मौजूद है.
चौपाई
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
भावार्थ - किसी भी कार्य को करने से पूर्व प्रभु श्रीराम जी का स्मरण करने से सफलता प्राप्त होगी. जो भी ऐसा करता है उसके लिए विष भी अमृत बन जाता है, शत्रु मित्र बन जाते हैं, समुद्र गाय के खुर के जैसा हो जाता है, अग्नि में शीतलता उत्पन्न हो जाती है.
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क्या है मान्यता?
- ऐसी मान्यता है कि जब हनुमानजी लंका में माता सीता का पता लगाने हेतु गए थे, तब इनके मन में इस कार्य के सफल होने को लेकर शंका पैदा हुई थी. तो उन्होने श्रीराम जी का ध्यान करके लंका में प्रवेश किया, तथा अपने कार्य में सफल हुए.
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- अतः यह माना जाता है कि किसी भी कार्य को करने से पूर्व अथवा इंटरव्यू आदि से पूर्व इस चौपाई को बोलने तथा श्रीराम का स्मरण करने से हर कार्य बन जाते हैं.
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- रामचरितमानस की रचना तुलसीदास के द्वारा महार्षि वाल्मिकी की रामायण को आधार बनाकर की गई है. सुंदरकांड रामचरितमानस का ही पांचवा सोपान है. इसमें हनुमान जी के गुणों तथा यश के संबंध में बताया गया है.
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