Wednesday, December 14, 2016

जब भगवान् कर रहे थे स्त्री की रचना तब हुआ कुछ बेहद अजीब, पढें ये रोचक कथा

जब भगवान् कर रहे थे स्त्री की रचना तब हुआ कुछ बेहद अजीब, पढें ये रोचक कथा
14 Dec. 2016

Manish Bansal
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इस दुनिया की सबसे अजीब पहेली स्त्री है और ऐसा कहा जाता है कि इसे समझना और सुलझाना बहुत मुश्किल है ! तो आपको जान कर हैरानी होगी कि जब स्त्री की रचना हुई थी तब भगवान् ने बहुत फुरसत से इसकी रचना की थी और इसमें इतना समय लग गया कि "देवदूत भी भगवान् से" सवाल जवाब करने लगे कि आखिर आपको सृष्टि की इस रचना में इतना समय क्यों लग रहा है ? दरअसल भगवान् जब स्त्री की रचना कर रहे थे तब ये क्रिया 6 दिन तक चलती रही पर तब भी यह अधूरी थी ! ऐसे में देवदूत प्रश्न करने के लिए विवश हो ही गए ! आप भी इन दिलचस्प सवालो को पढ़िए और सुनिये आखिर भगवान् ने देवदूत के प्रश्नों के क्या अध्भुत जवाब दिए !

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गुणों से भरपूर ..

सबसे पहला प्रश्न देवदूत ने ये पूछा कि भगवान् आप इस रचना में इतना समय क्यों लगा रहे है ? तो जवाब में भगवान् ने उतर दिया कि क्या तुमने इसके गुण देखे है ! ये मेरी वो रचना है जो हर हालत में डटी रहती है और खुद को संभाले रखती है ! फिर स्थिति चाहे कैसी भी हो ये सबको खुश रखती है ! अपने परिवार और सब बच्चो को एक सा प्यार करती है ! ये न केवल अपना ख्याल खुद रखती है बल्कि बीमार होने के बावजूद भी 18 घंटे काम करने की क्षमता रखती है ! तो हुई न ये गुणों से भरपूर !

स्त्री की प्रबलता ..

देवदूत ये सब सुन कर हैरान रह गए और पूछने लगे कि क्या ये सब केवल अपने दोनों हाथो से इतना कुछ कर सकती है ? भगवान् ने जवाब दिया बिलकुल ! इसलिए तो ये मेरी सबसे अध्भुत रचना कहलाएगी ! ये सब सुन कर ,देवदूत ने पास जाकर भगवान् की बनाई इस रचना को जब हाथ लगाया तो उन्होंने कहा कि प्रभु ये तो बहुत नाज़ुक है तो भगवान् ने हंस कर कहा कि हा ये बाहर से नाज़ुक जरूर है पर अंदर से उतनी ही मज़बूत है ! अर्थात ये कोमल है पर कमज़ोर नहीं !

सोचने की क्षमता ..

देवदूत इस रचना को लेकर काफी उत्साहित थे तो वो उत्साहित होकर ये पूछ बैठे कि प्रभु क्या ये सोच भी सकती है ? तो प्रभु ने कहा ये न केवल सोच सकती है बल्कि हर समस्या का मुकाबला करने की क्षमता भी रखती है ! इसके बाद देवदूत ने जो किया उसे पढ़ कर आप भी भावुक होने पर मज़बूर हो जायेगे !

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आंसुओ की व्यथा ..

दरअसल देवदूत ने जब पास जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया तब उन्हें कुछ पानी जैसा प्रतीत हुआ तो उन्होंने पूछा कि "हे भगवान्" ये इसके गालों पर पानी जैसा क्या है ? भगवान् ने कहा ये आंसू है ! तब देवदूत ने बहुत ही हैरान होकर "पूछा आंसू " पर वो किसलिए ? अब जरा इस पर भगवान् ने क्या कहा वो भी सुन लीजिये ! भगवान् ने कहा कि जब भी कभी ये कमज़ोर पड़ने लगे तब ये अपनी सारी पीड़ा आंसुओ के साथ बहा देती है और फिर से मजबूत बन जाती है ! अर्थात अपने दुखो को भुलाने का इसके पास ये सबसे बेहतर तरीका है ! भगवान् ने कहा कि यही इसकी ताकत है ! देवदूत ने ये सब सुन कर कहा कि भगवान् आप तो महान है ! इस रचना को आपने सब कुछ सोच समझ कर बनाया है !

भगवान् ने कहा ये स्त्री रूपी रचना हमेशा अपने परिवार की हिम्मत बनेगी और हर परिस्थिति में निश्छल रह कर ही समझौता करेगी ! वैसे इसके बाद देवदूत ने जब ये कहा कि भगवान् आपकी रचना सम्पूर्ण है तो भगवान् ने जवाब दिया कि नहीं            अभी इसमें एक कमी है और वो ये कि ये अपना ही महत्व भूल जाती है कि ये कितनी खास है और इसमें क्या क्या गुण है !
भगवान् द्वारा बनाई इस रचना की व्यथा को पढ़ने के बाद आप भी समझ गए होंगे कि आखिर एक स्त्री में इतने रूप क्यों पाए जाते है ! फिर चाहे माँ हो या बहन हो या पत्नी उसका हर रूप परिपूर्ण है ! इसलिए आप भी भगवान् की बनाई इस रचना को पहचानिये और इसका सम्मान कीजिये !

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