*मृत्युभोज/तेहरवीं/रस्म क्रिया पर भोजन करना सही है क्या..????*
जिस परिवार मे विपदा आई हो उसके साथ ईस संकट की घड़ी मे जरूर खडे़ हो और तन,मन,और घन से सहयोग करे और मृतक भोज का बहिष्कार करे।
*शास्त्रो में भी लिखा है*
✍ महाभारत युद्ध होने का था, अतः श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर जा कर युद्ध न करने के लिए संधि करने का आग्रह किया, तो दुर्योधन द्वारा आग्रह ठुकराए जाने पर श्री कृष्ण को कष्ट हुआ और वह चल पड़े, तो दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण से भोजन करने के आग्रह पर कहा कि
’’सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनैः’’
हे दुयोंधन - जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो, तभी भोजन करना चाहिए।
*लेकिन जब खिलाने वाले एवं खाने वालों के दिल में दर्द हो, वेदना हो।*
तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं करना चाहिए।
हिन्दू धर्म में मुख्य 16 संस्कार बनाए गए है, जिसमें प्रथम संस्कार गर्भाधान एवं अन्तिम तथा 16वाँ संस्कार अन्त्येष्टि है। इस प्रकार जब सत्रहवाँ संस्कार बनाया ही नहीं गया तो सत्रहवाँ संस्कार तेरहवीं संस्कार कहाँ से आ टपका।
इससे साबित होता है कि तेरहवी संस्कार समाज के चन्द चालाक लोगों के दिमाग की उपज है।
*किसी भी धर्म ग्रन्थ में मृत्युभोज का विधान नहीं है।*
बल्कि महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है। लेकिन जिसने जीवन पर्यन्त मृत्युभोज खाया हो, उसका तो ईश्वर ही मालिक है।
इसी लिए महार्षि दयानन्द सरस्वती,, पं0 श्रीराम शर्मा, स्वामी विवेकानन्द जैसे महान मनीषियों ने मृत्युभोज का जोरदार ढंग से विरोध किया है।
जिस भोजन बनाने का कृत्य जैसे लकड़ी फाड़ी जाती तो रोकर, आटा गूँथा जाता तो रोकर एवं पूड़ी बनाई जाती है तो रोकर यानि हर कृत्य आँसुओं से भीगा।
ऐसे आँसुओं से भीगे निकृष्ट भोजन एवं तेरहवीं भेाज का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कर समाज को एक सही दिशा दें।
जानवरों से सीखें,
जिसका साथी बिछुड़ जाने पर वह उस दिन चारा नहीं खाता है। जबकि 84 लाख योनियों में श्रेष्ठ मानव,
जवान आदमी की मृत्यु पर हलुवा पूड़ी खाकर शोक मनाने का ढ़ोंग रचता है।
इससे बढ़कर निन्दनीय कोई दूसरा कृत्य हो नहीं सकता।
यदि आप इस बात से
सहमत हों, तो आप आज से *"संकल्प लें कि आप किसी के मृत्यु भोज को ग्रहण नहीं करंगे"*
🙏�यही निवेदन है 🙏�
*मृत्युभोज समाज में फैली कुरुति है व् विकसित समाज के लिये अभिशाप 🙏�है।*
✍ *अगर आप भोजन करवाना ही चाहते है तो गरीब, लाचार, बेसहारा को करवा कर मृत प्राणी की आत्मा को शांति पहुंचा सकते है एवं पुण्य के भागी बन सकते है* 🇮🇳
🚩❗जय माता दी ❗🚩 🙏🏽 *जडेजा स्वदेशी*🙏🏽
No comments:
Post a Comment